Shardiya Navratri 5th Day October 7, 2024 – 7 October को शारदीय नवरात्रि का 5 वां दिन है, इस दिन स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki Pooja) की जाती है। दुर्गा की पांचवी शक्ति को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मत के अनुसार, स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki Pooja) करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
माँ दुर्गा के पुत्र कार्तिक का नाम स्कन्द है, इस कारण माँ दुर्गा के पांचवे स्वरुप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है।
स्कंदमाता की 4 भुजाएं हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान् स्कन्द को गोद में पकडे हुए है और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर की और उठी है उसमे कमल धारण किये हुए है। माँ का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती है। इन्हे पद्मासना की देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहते हैं। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।
अगर आप भी स्कंदमाता की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो विधि पूर्वक माँ स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki Pooja) करें। आइये हम आज बात करेंगे कि कैसे स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki pooja) व् अर्चना की जाती है।
स्कंदमाता की कथा
एक समय की बात है, जब असुरों के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। असुरों के राजा तारकासुर ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था। उसे वरदान था कि केवल भगवान शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकता है। इस कारण से देवता बहुत परेशान हो गए थे क्योंकि भगवान शिव योगी जीवन व्यतीत कर रहे थे और विवाह के लिए तैयार नहीं थे।
देवताओं के राजा इंद्र और अन्य देवता भगवान शिव की तपस्या में लगे रहे ताकि वे विवाह के लिए तैयार हों। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। इसके बाद भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। जब कार्तिकेय बड़े हुए, तो उन्हें ही असुर तारकासुर का वध करने के लिए चुना गया।
स्कंदमाता ने अपने पुत्र कार्तिकेय को युद्ध में जाने के लिए आशीर्वाद दिया। माता की कृपा और आशीर्वाद से ही कार्तिकेय ने असुर तारकासुर का वध किया और देवताओं को मुक्ति दिलाई। इस प्रकार, स्कंदमाता का यह रूप बच्चों की रक्षा करने वाली माता के रूप में भी माना जाता है।
स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki Pooja) कैसे करें ?
- सबसे पहले स्नान कर साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और वहाँ देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा करने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- साफ और पवित्र आसन का उपयोग करें। कोशिश करें कि आसन रेशमी या ऊनी हो।
- देवी की मूर्ति या चित्र पर गंगाजल या शुद्ध जल छिड़कें। इसके बाद देवी को स्नान कराएं और उनके वस्त्रों को साफ करें।
- पूजा शुरू करने से पहले देवी स्कंदमाता का ध्यान करें और प्रार्थना करें कि वे आपकी पूजा को स्वीकार करें और आशीर्वाद प्रदान करें।
- सबसे पहले माता को रोली और चंदन लगाएं, अक्षत (चावल) चढ़ाएं। देवी को कमल या अन्य सुगंधित फूल अर्पित करें और नारियल, फल, पान, सुपारी, और मिठाई माता को अर्पण करें।
- पूजा के अंत में देवी की आरती करें और कपूर जलाकर पूजा समाप्त करें। माता को भोग चढ़ाएं और प्रसाद सबमें बाँटें।
- अंत में माता से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख का आशीर्वाद दें।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
स्कंदमाता की पूजा (Skandmata ki Pooja) मंत्र जाप
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥