Chandraghanta Mata

मां चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) का स्वरूप

माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) का प्रिय पुष्प, रंग और पूजा विधि

  1. नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
  2. मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
  3.  मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। फिर मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के पश्चात किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।
  4. मां चंद्रघंटा की कृपा से  ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  5. माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
  6. माँ चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल और पीले गुलाब अर्पित करने से माता जल्द ही प्रसन्न हो जाती है और मनोकामना पूरी करती है। 
  7. शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माता को केसर की खीर और दूध से बनी  मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा पंचामृत, चीनी व् मिश्री माता रानी को अर्पित करना शुभ होता है।

माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata)की कथा

माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।

चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांची पुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटू महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) देवी के मंत्र

  1. या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
  2. पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥