दिल्ली के किसानों का दर्द: Shivraj Singh Chauhan ने उठाई आवाज, “गाली दो, पर योजनाओं का लाभ दो!”

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री Shivraj Singh Chauhan ने हाल ही में दिल्ली में किसानों से मुलाकात की। उन्होंने उनकी समस्याओं को ध्यान से सुना और दिल्ली सरकार से गुजारिश की कि केंद्र की किसान कल्याण योजनाओं का लाभ दिल्ली के किसानों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा, “मुझे गाली दो, लेकिन किसानों को उनका अधिकार दे दो।”

Shivraj Singh Chauhan

दिल्ली के किसानों की अनसुनी दास्तां

दिल्ली के किसानों ने बताया कि उनकी समस्याएं बाकी राज्यों के किसानों से काफी अलग हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा योजना, ड्रिप सिंचाई, सोलर योजनाएं और अन्य सुविधाएं, जो अन्य राज्यों के किसानों को मिल रही हैं, दिल्ली के किसान उनसे वंचित हैं।

प्रमुख मुद्दे:

  1. फसल बीमा योजना का अभाव: दिल्ली में यह योजना लागू नहीं है, जबकि पड़ोसी राज्यों में किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।
  2. ड्रिप सिंचाई पर सब्सिडी: जहां दूसरे राज्यों में 50-80% तक सब्सिडी दी जाती है, वहीं दिल्ली में किसानों को इससे वंचित रखा गया है।
  3. सोलर योजना: दिल्ली के किसानों को सोलर ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिलता।
  4. लालडोरा की समस्या: किसान लालडोरा क्षेत्र में उचित अधिकारों और योजनाओं से वंचित हैं।
  5. कृषि विज्ञान केंद्रों की कमी: दिल्ली सरकार की रुचि कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने में नहीं दिखती।

Shivraj Singh Chauhan का स्पष्ट संदेश

Shivraj Singh Chauhan ने कहा, “राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में किसानों का अहित न करें।” उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी से हाथ जोड़कर अपील की कि केंद्र सरकार की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने में बाधा न बनें।

Shivraj Singh Chauhan ने कहा कि “मुझे गाली दो या दाउद कहो, उससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता, लेकिन भारत सरकार की किसान कल्याण की योजनाएं तो दिल्ली के किसानों के लिए लागू करो, किसानों को योजनाओं का लाभ दे दो।” चौहान ने कहा कि केंद्र द्वारा राज्यों के माध्यम से ही योजनाएं लागू की जाती है, यह व्यवस्था की बात है। दिल्ली में किसान हित में व्यवस्था परिवर्तन होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह ने दिल्ली की मुख्यमंत्री से अपील की कि बहन आतिशी, राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में किसानों का अहित न करो।

उन्होंने यह भी दोहराया कि केंद्र सरकार राज्यों के माध्यम से ही योजनाओं को लागू करती है। इसलिए, अगर दिल्ली सरकार किसानों के हित में कदम नहीं उठाती, तो यह किसानों के अधिकारों का हनन होगा।

किसानों का बदलता परिदृश्य

दिल्ली के किसानों ने अपने पुराने गौरव को याद करते हुए कहा, “10-15 साल पहले दिल्ली का किसान खुद को राजा समझता था, लेकिन अब हम सबसे पिछड़े किसान बन गए हैं।”

पिछले 40-50 साल के अंदर दिल्ली में तीन मास्टर प्लान लागू हो चुके हैं, परंतु हमारे यहां पर कोई कंसोलिडेशन नहीं हुआ।”

आगे उन्होंने कहा कि, “एक तरफ दिल्ली सरकार कहती है कि दिल्ली अब वर्ल्ड क्लास की होगी, दिल्ली तो वर्ल्ड क्लास होगी लेकिन मेरा गांव सड़ जाएगा। हमारे गांव में रास्ते नहीं है, रास्तों में पूरा पानी भरा हुआ है। पूरे दिन खेत में काम करने के बाद सब्जियों को स्टेशन तक लाने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

किसानों को खेतों में ठीक रास्ता मिल जाए तो वह अपनी साईकिल या ट्रैक्टर से सब्जियां ले जा सकता है। हमारे ट्रैक्टर्स को कमर्शियल वाली अवधि में ना लाया जाए, पूरे जीवन में किसान एक ही बार ट्रैक्टर खरीद पाता है। पर MCD ने ट्रैक्टर छीनकर खड़े करवा दिए हैं, वो 18 रूपए किलो के हिसाब से पैसा लेते हैं। दिल्ली में सरासर तानाशाही हो रही है।” “

समाधान की दिशा में कदम

Shivraj Singh Chauhan ने किसानों को आश्वासन दिया कि उनकी आवाज को केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार से अपील की कि राजनीति को परे रखकर, किसानों के हित में योजनाएं लागू की जाएं।

दिल्ली जैसे महानगर में किसानों की ऐसी दयनीय स्थिति वाकई चिंताजनक है। अगर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें, तो दिल्ली के किसानों को उनका अधिकार मिल सकता है। Shivraj Singh Chauhan का यह प्रयास न केवल सराहनीय है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण है।

किसानों की आवाज को अनसुना करना हमारे भविष्य को अनदेखा करने जैसा है।

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