पितृ अमावस्या कब है ? कैसे करे सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध और तर्पण, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Sarv Pitru Amavasya 2024

इस दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। हालांकि, ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इस कारण सूतक भी मान्य नहीं होगा। ग्रहण के दौरान शास्त्र नियमों का पालन अनिवार्य है। गरुड़ पुराण में निहित है कि सर्व पितृ अमावस्या (Sarv Pitru Amavasya) तिथि पर पितृ पक्ष का समापन होता है। इस दिन पितृ पृथ्वी लोक से विदा होते हैं। इसके लिए पितृ अमावस्या ( Sarv Pitru Amavasya)पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है।

सर्व पितृ अमावस्या कब है ? (Sarv Pitru Amavasya 2024)

तर्पण पूजा दोपहर में ही होती है। ज्योतिषियों के अनुसार दोपहर के समय किया गया तर्पण पितरों द्वारा स्वीकार किया जाता है। सर्व पितृ अमावस्या (Sarv Pitru Amavasya) में तर्पण का मुहूर्त 2 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट से  अपराह्न 3:43 बजे तक है

कैसे करे पितृ पूजा और तर्पण ?

  • तर्पण किये जाने वाले स्थान को गंगाजल से स्वच्छ कर लें। इसके बाद एक दीपक जलाये।
  • आपको जिस व्यक्ति का तर्पण करना है उसकी फोटो एक चौकी पर रखें।
  • मंत्रो का जाप करके पितरों का आह्वान करें।
  • तर्पण के लिए कुश, अक्षत, जौ और काले तिल का उपयोग करें।
  • जल से भरा लोटा लें और उसमे दूध, दही, घी को मिलाये। इसके बाद तीन मुट्ठी का उपयोग करके अपने अंगूठे और पहली उंगली के मध्य भाग से जल अर्पित करें। इस दौरान तर्पयामी मंत्र का उच्चारण करें।
  • पूर्वजों का तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें।
  • पिंड बनाएं और फिर उसे कुश पर रखके जल से सींचें। जौ और कुश से ऋषियों के लिए तर्पण करें। इसके पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख करके जौ और कुश से मानव तर्पण करें।
  • पितरों व पूर्वजों को उनके प्रिय भोजन का भोग लगाएं।
  • पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें। पशु-पक्षियों को भोजन कराएं।
  • अंत में अपनी श्रद्धानुसार ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा जरूर दें।

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