शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन श्रद्धा भाव से मां चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी मां चंद्रघंटा की कृपा के पाना चाहते हैं तो विधि पूर्वक मां की पूजा-उपासना करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आइये हम आपको बताते हैं माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि और कथा –
मां चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) का स्वरूप
धर्म शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने देवताओं के आह्वाहन पर राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था। इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं। ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं। इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है। इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है।
माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) का प्रिय पुष्प, रंग और पूजा विधि
- नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें।
- मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें।
- मां को प्रसाद के रूप में फल और केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं। फिर मां चंद्रघंटा की आरती करें। पूजा के पश्चात किसी भी गलती के लिए क्षमा याचना करें।
- मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- माँ चंद्रघंटा की पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
- माँ चंद्रघंटा को सफ़ेद कमल और पीले गुलाब अर्पित करने से माता जल्द ही प्रसन्न हो जाती है और मनोकामना पूरी करती है।
- शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन माता को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा पंचामृत, चीनी व् मिश्री माता रानी को अर्पित करना शुभ होता है।
माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata)की कथा
हिंदू शास्त्र के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच लंबे समय तक युद्ध चल रहा था तब असुरों का स्वामी महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन छीन लिया और खुद स्वर्ग का स्वामी बन बैठा। इसे देखकर सभी देवता गण काफी दुखी हुए। स्वर्ग से निकाले जाने के बाद सभी देवतागण इस समस्या से निकलने के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए। वहां जाकर सभी देवताओं ने असुरों के किए गए अत्याचार और इंद्र, चंद्रमा, सूर्य, वायु और अन्य देवताओं के सभी छीने गए अधिकार के बारे में भगवान को बताया।
देवताओं ने भगवान को बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण स्वर्ग लोक तथा पृथ्वी पर अब विचरन करना असंभव हो गया है। तब यह सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव शंकर अत्यंत क्रोधित हो गए। उसी समय तीनो भगवान के मुख से एक ऊर्जा उत्पन्न हुई। देवतागणों के शरीर से निकली हुई उर्जा भी उस ऊर्जा से जाकर मिल गई।
यह ऊर्जा दसों दिशाओं में व्याप्त होने लगी। तभी वहां एक कन्या उत्पन्न हुई। तब शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया। भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया। इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया।
सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया। तब देवी सभी शास्त्रों को लेकर महिषासुर से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में आ गई। उनका यह विशाल का रूप देखकर महिषासुर भय से कांप उठा। तब महिषासुर ने अपनी सेना को मां चंद्रघंटा के पर हमला करने को कहा। तब देवी ने अपने अस्त्र-शस्त्र से असुरों की सेनाओं को भर में नष्ट कर दिया। इस तरह से मां चंद्रघंटा ने असुरों का वध करके देवताओं को अभयदान देते हुए अंतर्ध्यान हो गई।
माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
माँ चंद्रघंटा (Chandraghanta Mata) देवी के मंत्र
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
- पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
नवरात्रि के तीसरे दिन किसी दुर्गा मंदिर में घंटी भेंट करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। मान्यता है इससे विरोधी कार्य में बाधा नहीं बनते और तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं। ये उपाय जीवन में सुख और समृद्धि लेकर आता है। पौराणिक कथा के अनुसार असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश कर दिया था।