जीवन की उन्नति में अचानक से बाधा आ जाना, तरक्की के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। हम समझ नहीं पाते ऐसा क्यों हो रहा हैं, तमाम पूजा पाठ के बाद भी जब नहीं होता समाधान तब होती है ,पितृ दोष की पहचान।
पितृ दोष क्या है?
हमारी हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती है तो वो अपने वंशजो को कष्ट देती है, जिसे पितृ दोष कहा जाता है। पितृ दोष के और भी बहुत से कारण हैं –
- अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान से न किया जाये, तो उस व्यक्ति से जुड़े पुरे परिवार को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है।
- माता पिता का अपमान करने पर या उनकी मृत्यु के बाद पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध न करने से पूरे परिवार को पितृ दोष लगता है।
- सांप का सम्बन्ध पितृ दोष से होता है, सांप को मारने से भी पितृ दोष लगता है।
पितृ दोष के प्रभाव
- पितृ दोष के कारण नौकरी, व्यापार में भारी नुकसान होता है। वंशजो को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
- परिवार में शादी में बाँधा आती है या शादी के बाद शादीशुदा जोड़े में तनाव पैदा हो जाता है जिससे तलाक तक का सामना करना पड़ जाता है।
- यदि कोई दंपत्ति अनेक उपाय करने के बाद भी संतान सुख से वंचित रह जाता है, या जन्म लेने वाला बच्चा मनबुद्धि, विकलांग या पैदा होते ही मर जाता है तो ये भी पितृ दोष का प्रभाव होता है।
- घर में मौजूद किसी सदस्य की तबियत हमेशा खराब रहना।
- परिवार में आपस में लड़ाई झगड़े का माहौल बने रहना।
- पितृ दोष के कारण अचानक दुर्घटना का भी सामना करना पड़ सकता है।
पितृ दोष के उपाय
- पितृ पक्ष के दौरान पितरों के लिए विधि-विधान से तर्पण और श्राद्ध करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें। साथ ही वर्ष की प्रत्येक एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या पर पितरों को जल तर्पण करें।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध के महीने में दोपहर के समय पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
- पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल के जल में काले तिल, दूध, अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
- पितृ पक्ष के दौरान रोज शाम को घर की दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाएं। ऐसा आप रोजाना भी कर सकते हैं।
- किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराने, दान देने या किसी गरीब कन्या की शादी में मदद करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से पितृ दोष शांत होने लगता है।
- घर की दक्षिण दिशा में पूर्वजों की तस्वीरें लगाएं। उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। कहा जाता है, कि इससे पितृ दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
पितृ दोष दूर करने के कुछ विशेष उपाय भी हैं, जिन्हे करने से पितृ दोषों से मुक्ति मिल जाती हैं।
सोमवती अमावस्या को पास के पीपल के पेड के पास जाइये, उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये, पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की करिये, हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते जाइये।
परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।
कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये। पितृ दोष किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है। सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति माता काली का उपासक है तो किसी भी प्रकार का दोष उसकी जिन्दगी से दूर रहता है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए कौन सा रत्न पहनना चाहिए ?
माणिक रत्न को सूर्य को मज़बूत करने वाला माना जाता है। यह रत्न पितृ दोष के दौरान अशुभ ग्रहों के बुरे प्रभावों को खत्म कर सकता है। इसे सोने या तांबे की अंगूठी में जड़वाकर रविवार को अनामिका उंगली में पहनना चाहिए।
पीला पुखराज गुरु बृहस्पति का रत्न माना जाता है, इसे धारण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलने के साथ बृहस्पति को भी मज़बूत करने में मदद मिलती है। इसे तर्जनी उंगली में धारण करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यह रत्न हर कोई नहीं पहन सकता और इसे पहनने से पहले ज्योतिष एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए.