हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) का विशेष महत्व है। इस व्रत का सुहागिनों को पूरे साल इंतजार रहता है। इस साल करवा चौथ पर भद्रा का साया रहेगा। जानें करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) कब है, पूजन मुहूर्त, चाँद निकलने का समय।
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल 2024 में करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) 20 अक्टूबर को रविवार के दिन मनाया जायेगा। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। इस व्रत में माता पार्वती, शिव जी, गणेश और कार्तिक की पूजा का विधान हैं। करवा चौथ का व्रत बहुत कठिन व्रत होता है, इसे अन्न व जल ग्रहण किये बिना सुबह सूर्योदय से चंद्र दर्शन तक रखा जाता है। इस करवा चौथ भद्रा का अशुभ साया भी पड़ने वाला है, जानते हैं कब और कैसे करे करवा चौथ पूजा।
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) 2024 पूजा मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – 04:43AM से 05:34AM तक
प्रातः संध्या – 05:08AM से 06:24AM तक
अभिजीत मुहूर्त – 11:42AM से 12:27PM तक
विजय मुहूर्त – 01:58PM से 02:44PM तक
गोधूलि मुहूर्त -05:45PM से 06:11PM तक
करवा चौथ शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ – उन्नति 09:14 AM से 10:40AM तक
अमृत – सर्वोत्तम 10:40AM से 12:05PM तक
शुभ – उत्तम 01:30PM से 02:55PM तक
शुभ – उत्तम 05:45PM से 07:20PM तक
अमृत – सर्वोत्तम 07:20PM से 08:55PM तक
राहुकाल और भद्रा का समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राहु और भद्रा दोनों ही अशुभ मने जाते हैं। करवा चौथ के दिन राहुकाल लगने का समय शाम 4 बज कर 2 मिनट से 5 बज कर 45 मिनट तक रहेगा और भद्रा सुबह करवा चौथ के दिन सुबह 6 बज कर 24 मिनट से 6 बज कर 46 मिनट तक रहेगी
कब करें करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat)की पूजा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त २० अक्टूबर को शाम 05 बज कर 45 मिनट से शाम 7 बज कर 1 मिनट तक रहेगा।
कब निकलेगा करवा चौथ 2024 का चाँद
करवा चौथ के दिन चाँद के निकलने का इंतज़ार हर महिला बेसब्री से करती है। इस करवा चौथ चाँद निकलने का समय शाम 7 बज कर 53 मिनट बताया जा रहा है। अलग अलग जगह पर चाँद दिए गए समय से थोड़ा देरी से भी आ सकता है।
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) पूजा विधि
करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth Vrat) हिन्दू विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। यहां पर करवा चौथ की पूजा करने की संपूर्ण विधि बताई गई है:
- सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गयी सरगी का सेवन करें और सरगी खाने के बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें।
- दिन भर लाल रंग के वस्त्र पहनें, मेहँदी लगायें और श्रृंगार कर के ही पूजा की शुरुवात करें।
- पूजा की थाली तैयार करें। थाली में करवा, दीपक, चावल, रोली, चन्दन और मिठाई रखें।
- पानी से भरा एक लोटा भी तैयार रखें।
- पूजा के समय शिव परिवार और करवा माता की मूर्तियों या चित्रों का पूजा स्थान पर स्थापित करें।
- रोली, चावल, हल्दी, और फूल चढ़ाएं।
- करवा माता की कथा का पाठ करें या सुनें। करवा चौथ व्रत कथा सुनना शुभ माना जाता है।
- शाम को चंद्रमा उदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। सबसे पहले छलनी से चंद्रमा को देखें और फिर पति को देखें।
- पति के हाथ से जल ग्रहण करें और उनसे आशीर्वाद लें और व्रत का समापन करें।
इस विधि से करवा चौथ की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) की कथा
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) की कथा सुनना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस कथा को सुनने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। यहाँ आज हम आपको करवा चौथ व्रत की सबसे प्रचलित कथा के बारे में बताने जा रहे हैं:-
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में वीरवती नामक एक सुंदर और धर्मपरायण स्त्री रहती थी। वीरवती अपने सात भाइयों की एकलौती बहन थी। विवाह के बाद वीरवती ने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। व्रत का नियम था कि सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक भोजन और पानी नहीं लेना था।
सारा दिन निर्जल व्रत रखने के कारण वीरवती को शाम होते-होते बहुत कमजोरी महसूस होने लगी। वह भूख और प्यास से व्याकुल हो गई। वीरवती की ऐसी स्थिति देखकर उसके भाइयों से रहा नहीं गया। वे अपनी बहन की हालत देखकर चिंतित हो गए और उन्होंने सोचा कि कैसे भी करके अपनी बहन को व्रत खोलवाना चाहिए।
वीरवती के भाइयों ने एक पेड़ पर छलनी के पीछे दीपक जलाकर उसे चंद्रमा का आभास कराया और बहन से कहा, “देखो, चाँद निकल आया है। अब तुम व्रत खोल लो।” अपनी भाइयों की बातों पर विश्वास करके वीरवती ने चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ दिया।
व्रत तोड़ने के बाद, जैसे ही वीरवती ने भोजन ग्रहण किया, उसे बुरी खबर मिली कि उसका पति मृत्यु के द्वार पर है। इस दुखद समाचार को सुनकर वीरवती रोने लगी और उसने पश्चाताप किया कि उसने व्रत सही तरीके से नहीं किया। इसके बाद वीरवती अपने पति के मृत शरीर के पास जाकर पूरी श्रद्धा से भगवान शिव और माता पार्वती से प्रार्थना करने लगी। उसकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा, “तुम्हारा पति जीवित हो जाएगा, लेकिन इस बार पूरी निष्ठा और नियम से करवा चौथ का व्रत करो।”
वीरवती ने अगले वर्ष फिर से पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत किया। उसकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसके पति को जीवनदान दिया।
तब से हर वर्ष विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
यह कथा सुनने से व्रतधारी को अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।